कंपनियाँ अतिरिक्त धन जुटाने के लिए प्रारम्भिक सार्वजनिक पेशकश में शेयर जारी करती हैं। यदि किसी स्थिति में , यह शेयर पर्याप्त नहीं हैं, और कंपनी को और अधिक धन की आवश्यकता है, तो फिर कंपनियाँ बिक्री के प्रस्ताव (ओएफएस ) का विकल्प चुन सकती है।
एक बिक्री के प्रस्ताव से आप क्या समझते है?
एक ओएफएस प्रवर्तकों को सूचीबद्ध कंपनियों में पारदर्शी रूप से अपनी हिस्सेदारी को कम करने की अनुमति प्रदान करता है। प्रवर्तक धन जुटाने के लिए विनिमय मंचों पर अपने शेयर बेच सकते हैं। यह पूँजी जुटाने का एक छोटा और आसान तरीका है। यह मौजूदा शेयरधारकों द्वारा किसी विशेष कंपनी में आंशिक एवं पूर्ण हिस्सेदारी को प्रदर्शित करता है। शेयरधारक, खुदरा निवेशक, कंपनियाँ, विदेशी संस्थागत निवेशक और योग्य अंतर्राष्ट्रीय खरीदार इन शेयरों पर बोली लगा सकते हैं।
बोली लगाने वाले प्रति व्यक्ति को पेशकश किए गए शेयरों का अधिकतम 25% आंवटित होता है , और यहाँ कुल शेयरों पर कुछ आरक्षण भी होता हैं।
बिक्री के प्रस्ताव के लिए विशेष आरक्षण:
1. प्रस्तावित शेयरों का न्यूनतम 10 प्रतिशत खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित है।
2. पेशकश किए गए शेयरों का न्यूनतम 25 प्रतिशत म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियों के लिए आरक्षित है।
ओएफएस के साथ, प्रवर्तक सार्वजनिक पेशकश की प्रतीक्षा करने के बजाय सीधे अपने शेयर विनिमय मंचों पर बेच सकते हैं। किसी कंपनी में 10 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी वाले शेयरधारकों को ही बिक्री के प्रस्ताव से लाभ प्राप्त करने की अनुमति है।
सरकारी कंपनियाँ इस रणनीति का उपयोग विनिमय के माध्यम से एक पारदर्शी चैनल में अपनी हिस्सेदारी को कम करने के लिए करती हैं। उठाए गए धन को कंपनी में स्थानांतरित नहीं किया जाता है। इसके बजाय, इसे शेयरों के स्वामित्व को छोड़ने के बदले में प्रवर्तक को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थानांतरित कर दिया जाता है।
ओएफएस के लिए आवेदन कैसे करें?
एक व्यक्तिगत निवेशक के रूप में बिक्री के प्रस्ताव हेतु आवेदन आप खुदरा श्रेणी के तहत कर सकते हैं। इसमें कुल बोली मूल्य 2 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। यदि राशि अधिक हो जाती है, तो यह खुदरा श्रेणी के तहत नहीं आता है बल्कि गैर-संस्थागत निवेशक (एनआईआई) श्रेणी में चला जाता है। ओएफएस में भाग लेने के लिए आपको डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट की भी आवश्यकता होगी। यदि आप ऑफ़लाइन निवेशक हैं, तो आपको नियुक्त किए गए डीलर के माध्यम से बोली लगाने की आवश्यकता होगी।
ओएफएस के नियम एवं विनियमन:
— शेयर बाजार में ओएफएस के लिए केवल शीर्ष 200 कंपनियाँ ही उपलब्ध हैं। रैंक बाजार पूंजीकरण पर आधारित हैं।
— 10 प्रतिशत शेयर खुदरा खरीदारों के लिए आरक्षित हैं
— ओएफएस में 25 प्रतिशत शेयर म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस कंपनियों के लिए आरक्षित हैं।
— 10% से अधिक पूँजी वाले शेयरधारक ओएफएस जैसे म्यूच्यूअल फंड, यूटीआई, बैंक, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन, संस्थागत निवेशक आदि के माध्यम से शेयर पेश करने के पात्र हैं।
— कंपनी को ओएफएस से कम से कम दो दिन पहले विनिमय केन्द्रों को सूचित करना होगा।
— व्यापार के आधार पर निपटान व्यापार में जगह लेता है।
ओएफएस के साथ आरंभ करने के लिए अपना डीमैट खाता खोलें।
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