क्या आपने कभी सोचा है कि डीलिस्टिंग क्या होता है? जैसा कि शब्द से पता चलता है, डीलिस्टिंग तब होता है जब एक सूचीबद्ध कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में अपने शेयर को हिस्सा लेने से हटा देती है, या डीलिस्ट कर देती है। स्टॉक या प्रतिभूति का डीलिस्टिंग स्वैच्छिक और अनैच्छिक दोनों हो सकता है। आमतौर पर डीलिस्टिंग तब होता है जब कोई कंपनी अपने संचालन को रोक देती है, किसी अन्य कंपनी के साथ मिल जाती है, विस्तार या पुनर्गठन करना चाहती है, दिवालियापन की घोषणा करती है, निजी बनना चाहती है या लिस्टिंग आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहती है। जब डीलिस्टिंग एक स्वैच्छिक निर्णय हो, तो कंपनी निवेशकों को भुगतान करती है और फिर एक्सचेंज से अपने स्टॉक वापस ले लेती है। यदि कंपनी नियमों का पालन नहीं करती है तो स्टॉक एक्सचेंज भी कंपनी को डीलिस्ट होने के लिए मजबूर कर सकता है । आसान शब्दों में इसका मतलब है, जब स्टॉक एक्सचेंज से स्टॉक को स्थायी रूप से हटा दिया जाता है, तो उसे डीलिस्टिंग कहते हैं।
शेयरों के डीलिस्टिंग का क्या मतलब होता है?
शेयरों के डीलिस्टिंग का मतलब एक कंपनी को लिस्टिंग मानकों को पूरा करना होता है ; प्रत्येक एक्सचेंज का अपना स्थापित नियमों और विनियमों का सेट होता है।
कुछ कंपनियाँ जब लागत–लाभ विश्लेषण की सहायता से हिसाब लगाकर देखती हैं कि उन्हें सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध होने से जो लाभ हो रहा है वो उनकी लागत से कम है तो वे ख़ुद को डीलिस्ट करने का विकल्प चुनती हैं। कंपनियाँ निजी इक्विटी फर्मों द्वारा ख़रीदे जाने पर डीलिस्टिंग के लिए अनुरोध कर सकती हैं जहाँ नए शेयरधारक उन्हें पुनर्गठित करेंगे।
आइए पहले स्वैच्छिक डीलिस्टिंग को देखें। जब ज़बरदस्ती डीलिस्टिंग की जाती है, तो यह निवेशकों को एक मुश्किल स्थिति में खड़ा कर देता है क्योंकि उस समय उनके पास न्यूनतम विकल्प होता है और उन्हें जो भी कीमत पेश की जा रही है, उस पर स्टॉक बेचने के लिए कहा जाता है।
स्वैच्छिक डीलिस्टिंग
यदि कोई कंपनी स्वेच्छा से डीलिस्ट होना चाहती है, तो शेयरधारकों को आमतौर पर शेयरों की नियमित कीमत के लिए प्रीमियम की पेशकश की जाती है। जब कोई निवेशक डीलिस्टेड शेयर बेचता है, तो लेनदेन को एक्सचेंज से हटा दिया जाता है। इसलिए, किसी भी लाभ को पूँजी लाभ के रूप में माना जाता है। यदि प्रतिभूति ख़रीदे जाने के एक साल बाद डीलिस्टिंग होता है, पूँजीगत लाभ कर का शुल्क नहीं लिया जाता। हालांकि, यदि एक वर्ष के अंदर डीलीस्टिंग होता है, तो व्यक्ति के टैक्स स्लैब के आधार पर जो भी लाभ होता है, वह कर योग्य होगा।
अनैच्छिक डीलिस्टिंग
अनैच्छिक डीलिस्टिंग तब होता है जब नियमों का उल्लंघन होता है, या न्यूनतम वित्तीय अपेक्षाओं को पूरा करने में विफलता होती है। मौद्रिक मानक शब्द का मतलब है शेयर की कीमत, वित्तीय अनुपात और बिक्री के स्तर को एक निश्चित न्यूनतम स्तर पर बनाए रखने की क्षमता। यदि कोई कंपनी लिस्टिंग आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहती है, तो लिस्टिंग एक्सचेंज द्वारा गैर–अनुपालन की चेतावनी जारी की जाती है। यदि कंपनी इस समस्या का समाधान नहीं करती, तो लिस्टिंग एक्सचेंज द्वारा स्टॉक डीलिस्ट कर दिया जाता है।
यह आपको कैसे प्रभावित करता है?
अब, सवाल यह है कि, किसी कंपनी का डीलिस्ट होना शेयरधारक को कैसे प्रभावित करता है? स्वैच्छिक डीलिस्टिंग के मामले में, जिसमें एक कंपनी स्वयं बाज़ार से अपने शेयरों को हटा देती है, शेयरधारकों को उनके शेयरों को वापस करने के लिए भुगतान करती है, और फिर एक्सचेंज से शेयरों को हटा देती है। डीलिस्टिंग को केवल तभी सफ़ल माना जाता है जब अधिग्रहणकर्ता और सार्वजनिक शेयरधारकों द्वारा पेश किए गए शेयरों को मिलाकर कंपनी की पूरी शेयर की पूँजी का 90% हिस्सा बन जाता है।
एक स्वैच्छिक डीलिस्टिंग कभी अचानक नहीं होता है। निवेशकों को अपने स्टॉक बेचने के लिए पर्याप्त समय की पेशकश की जाती है। यदि कोई निवेशक डीलिस्टिंग के बाद शेयरों को धारण करने का विकल्प चुनता है, तो वह व्यक्ति शेयरों के कानूनी और लाभकारी स्वामित्व का आनंद लेना जारी रखेगा।