समय पर सही मात्रा में कर का भुगतान करना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। करों से सरकार को बुनियादी ढांचे, सरकारी योजनाएं, सामाजिक विकास और अन्य सरकारी खर्चों को चलाने और बनाए रखने में मदद मिलती है। लेकिन, आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आपकी सही टैक्स दायित्व क्या है। चूंकि टैक्स आपकी सालाना कमाई से काटा जाता है, इसलिए ऐसे विवरण जानना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप टैक्स बचा सकते हैं या कम कार सकते हैं।
2024 में नए टैक्स नियमों के आने के साथ, टैक्स बचाने के लिए सही निवेश विकल्पों का चयन करना अब और भी महत्वपूर्ण हो गया है। इनकम टैक्स को कम करने या बचाने के लिए अनेक विकल्प होते हैं, जैसे कि निवेश करें, विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाएं, और वित्तीय योजनाओं का उपयोग करें। इस लेख में, हम जानेंगे कि नए टैक्स नियमों के बाद टैक्स बचाने के लिए कौन-कौन से सर्वोत्तम निवेश विकल्प हैं और कैसे उनका उपयोग किया जा सकता है।
यह ध्यान में रखना ज़रूरी है की नई टैक्स रेजीम में टैक्स बचाने के तकरीबन सारे प्रचलित विकल्प बंद कर दिए गए हैं। इसलिए, हम पुरानी टैक्स रेजिमे के विकल्प देखेंगे और जानेंगे की उसमें इनकम टैक्स कैसे बचाएं।
ईएलएसएस एक किसम का म्यूचुअल फंड है। इसे टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड भी कहा जाता है। यह आपको आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 सी के तहत सालाना ₹ 1.5 लाख तक की कटौती का दावा करने की अनुमति देता है। इसकी लोकप्रियता का मुख्या कारण है की आपका टैक्स बचने के अलावा यह मार्किट से जुड़े उच्च रिटर्न अर्जित करने का अवसर भी प्रदान करता है। साथ ही यह आपको एसआईपी मोड के माध्यम से निवेश करने की सुविधा भी देता है। ईएलएसएस 3 साल के लॉक के साथ आता है जो बाकी कई टैक्स बचने की योजनाएं से काफी कम है।
पेंशन फंड्स भी टैक्स बचाने का एक अच्छा विकल्प हैं। इनमें निवेश करने पर आपको पेंशन निधि के लिए आयकर छूट मिलती है। पेंशन फंड्स के माध्यम से निवेश करने पर आपका निवेश भी मार्केट के परिस्थितियों के हिसाब से बढ़ता है और आपको विभिन्न चरणों में अच्छी आय देने का लाभ मिलता है।
यहाँ विशेष रूप से उल्लेख करने योग्य है – एनपीएस, यानि के नैशनल पेंशन सिस्टम (NPS)। एनपीएस एक निवेश विकल्प के रूप में बहुत लोकप्रिय है क्योंकि इसमें कई अन्य निवेश योजनाओं की तुलना में रिटर्न बहुत अधिक है। यह आपको कई प्रकार के निवेश विकल्प और पेंशन फंड प्रबंधकों का विकल्प भी प्रदान करता है। एनपीएस आपको आयकर कानूनों की तीन अलग-अलग धाराओं के तहत टैक्स बचाने की अनुमति देकर अधिक लाभ प्रदान करता है। धारा 80सीसीडी(1) के तहत ₹ 1.5 लाख तक के योगदान पर कटौती का दावा किया जा सकता है। धारा 80सीसीडी(1बी) के तहत ₹ 50,000 तक की अतिरिक्त कटौती है। अंत में, कर्मचारियों को धारा 80CCD(2) के तहत अपनी कंपनी के माध्यम से किए गए निवेश पर अतिरिक्त कर लाभ मिलता है।
पीएफ एक बचत के साथ टैक्स बचाने का निवेश उपकरण है जो आपको समय तक के लिए पूंजी कोष बनाने में मदद करता है। इसमें तीन मुख्य प्रकार होते हैं। पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड (पीपीएफ – PPF), एम्प्लॉई प्रोविडेंट फण्ड (ईपीएफ – EPF), और वोलंटरी प्रोविडेंट फण्ड (वीपीएफ – VPF)। यह तीनों ही आपको साल में ₹ 1.5 लाख तक का टैक्स बचने में मदद कर सकते हैं। साथ ही आप इनपे सालाना रिटर्न्स भी कमाते हैं जिसका रेट सर्कार तय करती है।
पीपीएफ सरकारी बैंक्स या पोस्ट ऑफिस में कोई भी खुलवा सकता है और इसमे 15 साल का लॉक-इन समय होता है। ईपीएफ अकाउंट केवल कंपनी के कर्मचारियों के लिए होता है जिसमे से कुछ पैसा उनकी तन्खा से कटता है और कुछ हिस्सा कंपनी देती है सीधे ईपीएफ अकाउंट में। जब आप कंपनी छोड़ते हैं तोह आप या तोह यह पैसा निकाल सकते हैं, या फिर अपनी नई कंपनी में ट्रांसफर कर सकते हैं। वीपीएफ, ईपीएफ की तरह ही है, लेकिन फार बस इतना है की वीपीएफ में आप अपनी इच्छा से अधिक राशि का निवेश करते हैं जो आपके ईपीएफ अकाउंट में ही जमा होता है, लेकिन इसमें आपकी कंपनी कोई अधिक राशि नही डालती है।
यूलिप एक बीमा योजना है जो आपको तीन फायदे देती है – दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आपके पैसे की वृद्धि, किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना की स्थिति में आपके परिवार को वित्तीय सुरक्षा देने के लिए जीवन कवर और साथ ही धारा 80सी के तहत ₹ 1.5 लाख तक टैक्स की बचत। मार्केट में तकरीबन हर बड़ी बीमा कंपनी विभिन्न प्रकार के ULIP स्कीम्स देती हैं। आप उनकी तुलना करने और प्रत्येक के विवरण को समझने के बाद वह चुन सकते हैं जो आपकी आवश्यकताओं के लिए सबसे उपयुक्त हो।
फिक्स्ड डिपॉजिट्स भी टैक्स बचाने का एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है। इनमें निवेश करने पर आपको निश्चित अवधि के लिए एक निश्चित ब्याज दर मिलती है और आपका निवेश सुरक्षित रहता है। इसलिए, यह भी एक उत्तम निवेश विकल्प हो सकता है ख़ास तौर पे रिटायर्ड लोगों के लिए। टैक्स-सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट्स में कम से कम 5 साल का लॉक-इन समय होता है।
भारत सरकार की भी ऐसी कई योजनाएं हैं जो आपको टैक्स बचने में मदद कर सकती हैं। अक्सर इनके रिटर्न्स मार्केट सेजुड़े विकल्पों जितने अच्छे नही होते, लेकिन यह अधिक सुरक्षित और स्थिर हैं क्योंकि इन्हें सरकार का समर्थन प्राप्त है। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं हैं:
तोह जैसा की आपने यहाँ देखा, भारत में टैक्स बचाने के लिए कई सारे विकल्प हैं। इनमें से आपके लिए सबसे उत्तम कौन सा है यह आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों और आय के हिसाब से चुनना चाहिए। सभी विकल्पों के लाभ और निवेश की शर्तों को ध्यान में रखते हुए, आपको सबसे अच्छा निवेश विकल्प चुनना चाहिए जो आपको सबसे अधिक लाभ प्रदान कर सके। आप इस मामले में अपने टैक्स सलाहकार से भी संपर्क कर सकते हैं।
अस्वीकरण: यह लेख केवल सूचनात्मक और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय सलाह या किसी विशेष स्टॉक में निवेश की सिफारिश के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। शेयर बाजार में जोखिम होते हैं, और कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले गहन शोध करना और पेशेवर मार्गदर्शन लेना आवश्यक है।
हां, टैक्स नियम में परिवर्तन होने के बावजूद, निवेश का महत्व हमेशा बना रहता है, ख़ास तौर पे अगर आप ओल्ड टैक्स रेजिमे चुनते हैं तोह। ठीक निवेश करके आप अपनी आय पर टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं और अधिकतम धन की सुरक्षा भी पा सकते हैं।
टैक्स बचाने के लिए प्रमुख निवेश विकल्प हैं जैसे जीवन बीमा, यूनिट लिंक्ड बीमा योजना, पेंशन फंड्स, इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम, फिक्स्ड डिपॉजिट्स, प्रोविडेंट फण्ड, और कई सारी सरकारी योजनाएं।
नहीं, आजकल निवेश करने के लिए आपको बैंक में जाने की आवश्यकता नहीं है। आप ऑनलाइन प्लेटफार्म का उपयोग करके भी निवेश कर सकते हैं जैसे कि डिमैट खाता और म्यूचुअल फंड्स अकाउंट।
हां, निवेश प्लानिंग आपको सही निवेश विकल्पों को चुनने में मदद करती है, जो आपकी आय पर टैक्स छूट प्राप्त करने के साथ-साथ आपके वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है।
हां, निवेश करना सुरक्षित है यदि आप सही निवेश विकल्पों का चयन करते हैं। विशेषज्ञों से सलाह लें और अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उचित निवेश निर्धारित करें।
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