All you need to know about E-Rupi
सब जो आप ई- रूपी के बारे में जानना चाहेंगे।
हैलो दोस्तों, एंजेल वन के एक और रोचक और जानकारी भरे पॉडकास्ट में आपका स्वागत है। आज हम बात करेंगे ई- रूपी की , भारत के प्रधानमंत्री ने इस महीने की शुरुआत में विडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये ई - रूपी को लॉंच किया। नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया, यानि एन पी सी आई ने कुछ चुने हुए उड़ेश्यों के लिए ई - रूपी को पेमेंट का जरिया बनाया है। तो, ई- रूपी क्या है और आप इससे क्या कर पाएंगे? ई- रूपी एक वाउचर है जो एक व्यक्ति के फ़ेवर में इशू किया जाता है। यह वाउचर कोड मोबाइल पर आता है। यह एसएमएस हो सकता है या फिर एक क्यू आर कोड - इसका इस्तेमाल केवल एक बार पेमेंट के लिए किया जा सकता है। लोग ऐसे बिज़नस मेन या रिटेलर के फ़ेवर में ई- रूपी वाउचर इशू कर पाएंगे जो ऑनलाइन पेमेंट स्वीकार करते हैं। वो व्यवसायी तुरंत पैसा रिसिव कर पाएंगे कैश की तरह। एक बात ई- रूपी की खास है की आप ई- रूपी वाउचर का प्रयोग तब भी कर सकते हैं जब आपके पास बैंक अकाउंट या पेमेंट एप नहीं है किसिको पे करने के लिए। मैं जानता हूँ आप क्या सोच रहे होंगे एक नए सिस्टम को फिर से लाने की क्या ज़रूरत थी जब इतने सारे तरीके पहले से ही हैं? देखिये ई- रूपी बाज़ार में मौजूद सभी तरीकों से कुछ अलग हट कर है , इसका इस्तेमाल करके आप और सरकार यह सुनिश्चित कर सकती है है की पैसा जिस काम के लिए दिया गया है उसी काम के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। जैसे की, सरकार ने कोविड के लिए कुछ हॉस्पिटल को ई- रूपी के जरिये पैसे दिये , तो सरकार इस बारे में निश्चिंत हो सकती है की पैसा इसी काम के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। ई- रूपी के लॉंच से भारत में डिजिटल पेमेंट की रीच बढ़ जाएगी। जैसे के एक प्राइवेट ऑर्गनाइज़ेशन किसी को हैल्थ ट्रीटमंट, पढ़ाई या और किसी सोश्ल कॉज़ के लिए सहायता करना चाहती है तो कैश की जगह ई- रूपी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके साथ-साथ पैसे देना वाला वाउचर की वैलिडिटि का टाइम भी तय कर सकता है। अगर सरकार किसी पेमेंट वाउचर का टाइम लाइन 3 महीने डिसाइड करती है तो वाउचर 3 महीनो बाद लेप्स हो जाएगा। सरकार ई- रूपी को सबसिडी पेमेंट में कई प्रोब्लेम के चलते लेकर आई है, चाहे वो सब्सिडि गैस की हो या फर्टिलाईजर की। कई बार बड़ी कंपनियाँ सरकार के लिए बड़े सबसिडी बिल्ल्स बना देती है बिना यह एन्श्युर किए की वो पैसा गरीबों तक पहुँच रहा है या नहीं। बल्कि कई अमीर लोगों को भी सबसिडी मिल जाती थी, और सरकार का सबसिडी बिल बढ़ रहा है बिना सही लोगों तक पहुंचे हुए। इसका तोड़ सरकार ने डाइरैक्ट बेनिफ़िट के फ़ॉर्म के साथ,जिससे फ़ंड सीधा गरीब लोगों के अकाउंट में ही जाते थे। डीबीटी सिस्टम पिछले कुछ सालों में काफी कामयाब हुआ है, आंकड़ों के हिसाब से भारत में 54 मिनिस्टरी में करीब 314 डीबीटी प्रोग्राम चल रहे हैं। वित्त वर्ष 2021 में 551 करोड़ से कुछ ज़्यादा राशि ट्रान्सफर की गयी। वित्त वर्ष 22 में 115 ट्रैंज़ैक्शन में करीब 1.30 करोड़ रुपये ट्रान्सफर किए गए हैं। इतने लंबे और कॉम्प्लेक्स सिस्टम में प्रोब्लेम आना लाज़मी है। डीबीटी में भी कई खामियाँ निकली जैसे की कई जन- धन खाते डोरमेंट पड़े हैं। इसके अलावा कई छोटे शहरों और गाँव में भ्रष्टाचार के मामले भी सामने आए। कई जगहों पर देखा गया की गरीब आदमी के अकाउंट को कोई और ही ऑपरेट कर रहा था, सब्सिडि जिसके लिए दी जाती थी उस तक पहुँच ही नहीं पा रही थी। यह भी देखा गया की जब कभी एक टार्गेट पॉप्युलेशन को सब्सिडि दी जाती थी तो वो उसे शराब या जुए में उड़ा देते थे। यह सारे प्रोब्लेम का एक ही सोल्यूशंस था की सरकार बिचौलिये को हटाकर सीधा उस व्यक्ति के नाम पर वाउचर जारी करे जिसे सब्सिडि मिलनी है। ई- रूपी यूस करने के कई फ़ायदे हैं , खैर सरकार को तो इससे अपनी सबसिडी पेमेंट के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही तय कर सकेगी। ई- रूपी कोई कृपटो - करेंसी नहीं बल्कि डिजिटल पेमेंट का एक तरीका है। लेकिन ई- रूपी ने कृपटो- करेंसी के समर्थकों में एक उम्मीद पैदा कर कर दी है की यह शायद कृपटो करेंसी की तरफ सरकार का कोई सकारात्मक कदम है। कई विशेषज्ञों का मानना है की यह डिजिटल पेमेंट और कृपटो - करेंसी के साथ- साथ चलने को लेकर एक पहला कदम है। भारत में काश से जीडीपी रैशियो 14.7% है जो पिछले दो दशकों में सबसे ज्यादा है। ई- रूपी के चलन से सरकार काश पर निर्भरता हटाकर डिजिटल पेमेंट के प्रचार में सहायता कर रही है। ई- रूपी लॉंच करने का एक बड़ा कारण उन 19 करोड़ लोगों तक पहुँचना है जिनके पास अभी तक कोई बैंक अकाउंट नहीं है। ई- रूपी कल्याण के लिए दी गयी राशि को देने का सबसे सस्ता साधन है, जिससे सरकार भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना चाहती है। चलिये दोस्तों ई- रूपी पर बस इतना ही, पर हम आपसे वादा करते हैं की हम पेमेंट के विषय में और भी रोचक जानकारी लेकर आते रहेंगे। जाने से पहले एक और ज़रूरी बात। ये पॉडकास्ट केवल जानकारी के लिए बनाया गया है, और आपको अपनी रिसर्च ज़रूर करनी चाहिए। ऐसे और रोचक पॉडकास्ट सुनने के लिए हमें फॉलो करें यू ट्यूब और दूसरे सोश्ल मीडिया चैनल पर। तब तक के लिए गुड बाइ और शुभ निवेश। निवेश बाज़ार जोखिमों के आधीन हैं, सभी संभन्धित दस्तावेज़ ध्यान से पढ़ें।
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