परिचय
अरंडी के बीज गैर–खाद्य उत्पादों की एक तिलहन फसल है और इसका उपयोग अरंडी का तेल और इसके उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। अरंडी के बीज से बनाए गए उत्पादों का उपयोग इत्र, सौंदर्य प्रसाधन, हाइड्रोलिक और ब्रेक फ्लूइड, पेंट, सतह कोटिंग्स, स्याही, प्लास्टिक, मोम, साबुन, टॉयलेटरीज़, फार्मास्यूटिकल्स, दवाइयां और लुब्रिकेटिंग फॉर्मूलेशन जैसी वस्तुओं को प्रोसेस करने के लिए किया जाता हैं। इन उत्पादों को बनाने के लिए केस्टर तेल का उपयोग अपने कच्चे या रिफाइंड रूप में किया जाता है। अरंडी ऑयल के लिए एमसीएक्स बेस ट्रेडिंग यूनिट दस मीट्रिक टन है, जबकि अधिकतम ऑर्डर 500 मीट्रिक टन है। केस्टर बीज की कीमतें निम्नलिखित कारकों पर निर्भर होती हैं। ये सभी कारक यह सुनिश्चित करते हैं कि अरंडी के बीज का वर्तमान मूल्य बदलता रहता है। भारत में केस्टर बीज की कीमत वर्तमान में प्रति 100 किलोग्राम 4,360 रुपये है।
खेती और उत्पादन
अरंडी की फसल शुष्क और अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में उगाई जाती है, और भारत इसके प्राथमिक उत्पादकों में से एक है, इसके बाद ब्राजील और चीन। विश्व भर में तीस देश अरंडी की खेती करते हैं, और अरंडी के बीज की वार्षिक उत्पादन लगभग 15 – 20 लाख टन के बराबर है । भारत में लगभग सभी अरंडी बीजो की खेती गुजरात, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में की जाती है। भारत अरंडी के बीज उत्पादन में सबसे आगे है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अरंडी के तेल के व्यापार में एक अहम भूमिका निभाता है। तथ्य यह है कि भारत में अपने अरंडी बीज उत्पादन की घरेलू खपत कम होने पर अधिकांश उत्पादन का निर्यात कर दिया जाता है। चीन, अमेरिका और जापान भारत से अरंडी के तेल के प्रमुख आयातक हैं।
कीमतों को प्रभावित करने वाले कारक
मांग और आपूर्ति के घरेलू स्थिति, विभिन्न फसलों की कीमतों के बीच प्रतिस्पर्धा, उत्पादन की लागत और मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कीमतें वो महत्वपूर्ण कारक हैं जो अरंडी के बीज और इसके उत्पादों की कीमतों को प्रभावित करते हैं। मौसम की स्थिति, रोग और कीट, हर कृषि फसल से जुड़े जोखिम हैं, और यह भारत में अरंडी के बीज की कीमत को भी प्रभावित करता है। आयात और निर्यात पर सरकार के नियम, प्रतिस्पर्धी तेलों की कीमत और मुद्रा के उतार चढ़ाव भी अरंडी बीज की कीमतों को प्रभावित करते हैं। अरंडी का तेल और अरंडी के तेल से बने उत्पादों के नए उपयोगों का विकास दोनों, इसकी कीमत पर असर डाल सकता है।
विचारणीय जोखिम कारक
बाजार के यथार्थवादी विश्लेषण के लिए मूल्य जोखिम की प्रबंधन योजना की आवश्यकता होगी, और स्टेकहोल्डर्स, विपणक, प्रोसेसर, निर्यातकों और एसएमई के लिए महत्वपूर्ण है। अनिश्चितता की स्थिति में, आधुनिक तकनीक और कार्यनीति पैटर्न को काफी सटीक रूप से जानने में मदद कर सकती है और काफी हद तक निवेश में सुरक्षा की निश्चितता प्रदान कर सकती है। एमसीएक्स की ओर से ऐसा ही एक जोखिम प्रबंधन साधन प्रस्तुत है और इसे “केस्टर फ्यूचर्स” कहा जाता है और यह दक्षता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ा सकता है।
निष्कर्ष
कृषि उत्पादों में निवेश मुद्रास्फीति और अन्य अनिश्चितताओं से खुद को बचाने के लिए एक बेहतर तरीका है। अरंडी के तेल और तेल के डेरिवेटिव के उपयोग पहले से ही काफी ज्यादा हैं। मुख्य रूप से फार्मास्यूटिकल्स और जैव प्लास्टिक के क्षेत्रों में, अरंडी के तेल के नए प्रयोगों का पता लगाया जा रहा है। यह सुनिश्चित करता है कि अरंडी के तेल और इसके डेरिवेटिव के सभी उत्पादों के लिए बाजार लगातार बढ़ रहा है। इससे अरंडी बीज की कीमत अनुकूल बनी रहती है। आपूर्ति और मांग दरें हर वस्तु की कीमत को प्रभावित करती हैं, इसलिए, इन ट्रेंड्स पर नजर बनाए रखें। इसके अलावा, किसी भी प्रतिबद्धता से पहले केस्टर बीज का वर्तमान मूल्य का जान लें।