लेखा-बहियां 1 वर्ष की अवधि के लिए रखी जाती हैं। यद्यपि इस अवधि की प्रारंभ की तिथि विभिन्न कंपनियों की भिन्न-भिन्न होती है। किसी कंपनी की वित्तीय विवरणियों को पढ़ते समय, आप वित्तीय वर्ष और निर्धारण वर्ष जैसी शब्दावलियां देखे होंगे। इस लेख में हम जानेंगे कि वित्तीय वर्ष एवं निर्धारण वर्ष क्या हैं तथा वे एक-दूसरे से कैसे भिन्न हैं।
वित्तीय वर्ष क्या है?
वित्तीय वर्ष (एफवाई), जिसे वित्तीय वर्ष या एकाउंटिंग वर्ष के नाम से भी जाना जाता है, 12 महीनों की निश्चित अवधि होती है, जिसके दौरान व्यापार, संगठन और सरकारें अपनी वित्तीय गतिविधियों का प्रबंधन करती हैं, अर्थात अपने वित्तीय प्रदर्शन पर निगाह रखती हैं और उनके परिणाम प्रतिवेदित करती हैं। वित्तीय प्रबंधन, योजना और अनुपालन के लिए वित्तीय वर्ष महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह संस्थाओं को अपने वित्तीय स्वास्थ्य की निगरानी करने, बजट तैयार करने, लक्ष्य तय करने, वित्तीय विवरण बनाने और निर्दिष्ट समय सीमा के अंदर कर दायित्वों को पूरा करने की अनुमति प्रदान करता है।
निर्धारण वर्ष क्या है?
निर्धारण वर्ष (एवाय) वह अवधि है जिसके दौरान कर अधिकारी किसी व्यक्ति अथवा संगठन की आय तथा कर देयता का मूल्यांकन करते हैं तथा संबंधित वित्तीय वर्ष के लिए उनकी आयकर रिटर्न में प्रदान की गई सूचना के आधार पर कर दायित्व का मूल्यांकन करते हैं। यह कराधान प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण चरण के रूप में कार्य करता है, जो कर अधिकारियों के लिए करदाता की वित्तीय जानकारी की सटीकता तथा पूर्णता की समीक्षा करना और देय कर की गणना करना संभव बनाता है तथा यह निर्धारित करता है कि किसी प्रकार का समायोजन अथवा वापसी आवश्यक है या नहीं।
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निर्धारण वर्ष कर अनुपालन तथा निष्पक्षता सुनिश्चित करने, करदाताओं को त्रुटि निवारण करने, कटौतियों का दावा करने और उनके कर दायित्व से संबंधित किसी भी प्रकार की विसंगति को सुधारने के लिए तंत्र उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है।
भारतीय वित्तीय वर्ष और निर्धारण वर्ष
भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक का होता है। यदि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-2024 है, तो इसका अर्थ है विवरणी 1 अप्रैल, 2023 से 31 मार्च, 2024 तक की अवधि के वित्त के बारे में चर्चा करता है।
निर्धारण वर्ष के संबंध में, यद्यपि यह 1 अप्रैल से 31 मार्च तक का ही होता है, परंतु विचार किया गया वर्ष वित्तीय वर्ष से भिन्न होगा। उदाहरण के लिए, वित्तीय वर्ष 2022-2023 में अर्जित आय निर्धारण वर्ष 2023-2024 (1ली अप्रैल 2023 से 31वीं मार्च 2024) में कर योग्य होगी।
एफवाई और एवाई को ज्यादा सही तरीके से समझने के लिए नीचे एक तालिका दी गई है:
वर्ष के प्रारंभ होने की तिथि | वर्ष की समाप्ति की तिथि | वित्तीय वर्ष (एफवाई) | निर्धारण वर्ष (एवाई) |
1ली अप्रैल 2020 | 31वीं मार्च 2021 | 2020 – 2021 | 2021 – 2022 |
1ली अप्रैल 2021 | 31वीं मार्च 2022 | 2021 – 2022 | 2022 – 2023 |
1ली अप्रैल 2022 | 31वीं मार्च 2023 | 2022 – 2023 | 2023 – 2024 |
1ली अप्रैल 2023 | 31वीं मार्च 2024 | 2023 – 2024 | 2024 – 2025 |
एफवाई और एवाई के बीच अंतर
कारक | वित्तीय वर्ष (एफवाई) | निर्धारण वर्ष (एवाई) |
परिभाषा | वित्तीय वर्ष वह अवधि है जिसका प्रयोग कराधान प्रयोजन से किसी संगठन की आय तथा व्यय की गणना करने के लिए किया जाता है। यह वित्तीय लेन-देन का रिकॉर्ड रखने, बजट तैयार करने, रणनीतिक निर्णय लेने और वित्तीय विवरण बनाने की समय-सीमा है। | एवाई वह अवधि है जिसमें कर का आकलन किया जाता है और कर रिटर्न के लिए दाखिल किया जाता है। यह एक वित्तीय वर्ष में अर्जित किए गए आय पर कर का भुगतान करने वाले वर्ष को निर्दिष्ट करता है। |
समय–सीमा | भारत में वित्तीय वर्ष 1ली अप्रैल को प्रारंभ होता है तथा अगले कैलेंडर वर्ष की 31वीं मार्च को समाप्त होता है। | निर्धारण वर्ष वह वर्ष है जो उस वित्तीय वर्ष के तुरंत बाद आता है जिसके लिए कर निर्धारण किए जाते हैं। भारत में एवाई 1ली अप्रैल को प्रारंभ होता है तथा अगले कैलेंडर वर्ष की 31वीं मार्च को समाप्त होती है। |
आईटीआर फॉर्म में निर्धारण वर्ष क्यों होता है?
आयकर रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म में निर्धारण वर्ष कई उद्देश्यों को पूरा करता है। यह करदाताओं को पिछले वित्तीय वर्ष के लिए अपनी आय, कटौतियों और कर भुगतानों का रिपोर्ट करने में तथा सही कर की गणना करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, निर्धारण वर्ष निर्धारित समयसीमा के भीतर आईटीआर दाखिल करने के लिए संदर्भ अवधि निर्धारित करके समय पर इसका अनुपालन सुनिश्चित करता है। यह कर संबंधी आंकड़ों की तुलना करने, प्रवृत्तियों के विश्लेषण को सक्षम बनाने तथा समय के साथ होनेवाली विसंगतियों की पहचान करना संभव बनाता है।
इसके अलावा, निर्धारण वर्ष कर निर्धारण और कानूनी कार्यवाही के लिए सीमाओं का कानून बनाने में भूमिका निभाता है। यह एक समय सीमा तय करता है जिसके अंदर कर अधिकारी दाखिल किए गए कर रिटर्न की समीक्षा कर सकते हैं तथा समायोजन कर सकते हैं अथवा आवश्यक होने पर अंकेक्षण तथा जांच आरंभ कर सकते हैं।
अंत में, आयकर वापसी की कार्रवाई करने तथा अधिक कर भुगतान के मामलों में समायोजन करने के लिए निर्धारण वर्ष महत्वपूर्ण होता है। करदाता वित्तीय वर्ष के दौरान किए गए किसी भी अधिकाई भुगतान की वापसी का दावा कर सकता है, निष्पक्षता सुनिश्चित कर सकता है और किसी भी वित्तीय विसंगति को सुधारने के लिए एक तंत्र प्रदान कर सकता है।