एनपीएस (NPS) बनाम म्यूचुअल फंड: बेहतर निवेश योजना का चयन करें

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by Angel One
आप अपने रिटायरमेंट की योजना कैसे बना रहे हैं? कौन-सा निवेश बेहतर तरीके से आपके लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है - राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) या म्यूचुअल फंड।

यदि आप कुशलतापूर्वक निवेश करते हैं तो यह आपके अनेक सपनों को पूरा करने में मदद कर सकती है। इनमें से एक लक्ष्य सेवानिवृत्ति के बाद गुणवत्तापूर्ण जीवन की प्राप्ति हो सकता है जिसमें आपको निश्चित आय प्राप्त होती है। आज किए गए निवेश रिटायरमेंट के बाद के आपके लाइफस्टाइल को काफी प्रभावित कर सकते हैं।

आइए, रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए भारत के दो निवेश योजनाओं – नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) और म्यूचुअल फंड को देखें। इस ब्लॉग में दोनों योजनाओं की विशेषताओं तथा अंतर एवं’ इनके लाभों के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान करता है।

राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) क्या है ?

राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) एक सरकार समर्थित पेंशन योजना है जिसकी शुरुआत 2004 में की गई तथा इसका अर्थ है कि इसमें न्यूनतम जोखिम होता है। यह मुख्य रूप से वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए है और सेवानिवृत्ति के बाद आय का एक स्थिर स्रोत प्रदान करता है।

सैन्य सेवा कर रहे व्यक्ति को छोड़कर किसी प्रकार की नौकरी करनेवाला कोई भी भारतीय नागरिक (निवासी या अनिवासी) इस योजना के लिए पात्र है। पात्र होने के लिए आवेदक की आयु 18 से 70 वर्ष (आवेदन की तिथि पर) के बीच होनी चाहिए।

एनपीएस (NPS) मॉडल किसी व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) या आवर्ती जमा (आरडी) योजना के समान होता है, जिसमें समय-समय पर एक निश्चित राशि का योगदान किया जाता है। यह योगदान तब तक किया जाता है जब तक निवेश के लक्ष्य पूरा नहीं हो जाते हैं या निवेशक सेवानिवृत्ति आयु तक नहीं पहुंच जाता है।

एनपीएस (NPS) में योगदान की सीमाएं निम्नवत हैं :

एनपीएस (NPS) खाता खोलते समय न्यूनतम राशि ₹500

वार्षिक न्यूनतम राशि ₹1000 (अकाउंट को ऐक्टिव रखने के लिए अगला योगदान)।

सेवानिवृत्ति के पश्चात्, निवेशक जमा राशि का एक हिस्सा निकाल सकता है तथा निवेश का शेष हिस्सा मासिक पेंशन के रूप में प्राप्त होता है।

एनपीएस ( NPS) में किसे निवेश करना चाहिए ?

एनपीएस (NPS) में निवेश उनलोगों के लिए उपयुक्त है जिनकी जोखिम उठाने की क्षमता कम हो तथा वे सेवानिवृत्ति के लिए जल्दी योजना बनाना चाहते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद की जीवनशैली पर इस बचत योजना का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।

इसके अतिरिक्त, यह योजना निजी क्षेत्र या स्व-व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए भी लाभदायक हो सकती है। सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन के रूप में एक स्थिर आय प्राप्त होना एक आशीर्वाद साबित हो सकता है।

इस योजना के निवेशक आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत प्रति वर्ष ₹2 लाख तक की कर कटौतियों के लिए भी पात्र होते हैं।

म्यूचुअल फंड क्या है ?

म्यूचुअल फंड को निवेश के पूल के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जहां विपणन योग्य विभिन्न प्रतिभूतियों में आपके योगदान को विविधता प्रदान की जाती है। इन निधियों का प्रबंधन पेशेवरों द्वारा किया जाता है तथा यही लोग म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो का निर्णय करते हैं।

म्यूचुअल फंड में एक बार एकमुश्त राशि या व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) के रूप में निवेश किया जा सकता है। एसआईपी (SIP) में आप समय-समय पर छोटी-छोटी राशि का योगदान करके निवेश करते हैं। एंजल के एसआईपी (SIP) कैलकुलेटर का उपयोग करके आप देख सकते हैं कि एसआईपी (SIP) समय के साथ कैसे चक्रवृद्धि करते हैं।

लिक्विडिटी के आधार पर म्यूचुअल फंड को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है ।

ओपन – एंडेडयोजनाएंनिवेशकोंकोअधिकतरलताप्रदानकरतीहैंक्योंकिउनमेंप्रवेशकरनाऔरबाहरनिकलनाआसानहोता है।

क्लोज – एंडेडस्कीमकेलिएनिर्दिष्टमेच्योरिटीतिथितकफंडलॉकहो जातीहै।

पोर्टफोलियो के मेक-अप के आधार पर इन सभी निवेशों में जोखिम के दर भिन्न होते हैं। इन पोर्टफोलियो में इक्विटी, डेट, कमोडिटी, मार्केट बॉन्ड, सॉवरेन पेपर या इनका मिला-जुला रूप भी शामिल हो सकता है।

म्यूचुअल फंड में कौन निवेश कर सकता है ?

जिन व्यक्तियों में अधिक जोखिम उठाने की क्षमता होती है वे म्यूचुअल फंड में निवेश करने का विकल्प चुन सकते हैं। जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर, व्यक्ति उन म्यूचुअल फंड का भी चयन कर सकते हैं जिनमें निवेश करना चाहते हैं। सरकार समर्थित नहीं होने के कारण म्यूचुअल फंड में जोखिम अधिक होता है। यद्यपि इन योजनाओं को सेबी के नियमों और विनियमों का पालन करना होता है।

इसके अलावा, वैसे म्यूचुअल फंड जो बाजार के अनुसार चलते हैं वे मुद्रास्फीति के प्रभाव को खत्म करने में आपकी मदद कर सकते हैं। आम तौर पर म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए कोई न्यूनतम राशि निर्धरित नहीं होती है लेकिन अलग-अलग म्यूचुअल फंड स्कीम निवेश की न्यूनतम राशि निर्धारित करते हैं। म्यूचुअल फंड में किए गए योगदान आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक के टैक्सेशन से छूट के पात्र होते हैं।

एनपीएस (NPS) और म्यूचुअल फंड में अंतर

एनपीएस (NPS) बनाम म्यूचुअल फंड की तुलना के लिए मुख्य विशेषताओं का ब्रेकडाउन :

विशेषता एनपीएस म्यूचुअल फंड
उद्देश्य मुख्य रूप से रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए एकाधिक लक्ष्य
टैक्स लाभ ब्याज और परिपक्वता पर लागू [सेक्शन 80C] लाभांश और पूंजी के बढ़ने पर लागू [सेक्शन 80C]
निवेश विकल्प सीमित [टियर I और टियर II] विभिन्न आस्ति वर्गों की योजनाओं की विविध श्रेणी
लॉक – इन – पीरियड लॉन्ग लॉक-इन पीरियड म्यूच्यूअल फंड योजना पर निर्भर करता है. ओपन-एंडेड स्कीम में कोई लॉक-इन अवधि नहीं होती है
जोखिम सरकार द्वारा समर्थित होने के कारण कम है स्कीम पर निर्भर करता है
रिटर्न म्यूचुअल फंड से संभावित रूप से कम एनपीएस (NPS) से संभावित रूप से अधिक
तरलता कम [मेच्योरिटी पर आंशिक निकासी] उच्चतर [ओपन-एंडेड स्कीम के लिए]
प्रबंधन सरकार नियंत्रित व्यावसायिक रूप से विशेषज्ञों द्वारा प्रबंधित

म्यूचुअल फंड या एनपीएस (NPS): हमें किसका चुनाव करना चाहिए ?

म्यूचुअल फंड या एनपीएस (NPS) के बीच बेहतर विकल्प चुनाव योजना पर निर्भर करता है। निर्णय लेने के लिए निवेश की मात्रा, सेवानिवृत्ति लक्ष्य, वर्तमान बचत, जोखिम लेने की क्षमता आदि जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करना होगा। निवेश के दोनों माध्यमों में अलग-अलग लाभ प्राप्त होते हैं जो विभिन्न निवेश आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।

यदि आप अपने निवेश में विविधता की तलाश कर रहे हैं तो आप एनपीएस (NPS) और म्यूचुअल फंड का विकल्प चुन सकते हैं। निवेश करते समय, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होता है कि आपके द्वारा जमा की जाने वाली राशि योजना के नियमों के अनुसार हो। इसके अतिरिक्त, निवेश का प्रबंधन करने के लिए आपको अलग से अकाउंट खोलने की आवश्यकता नहीं होती है। एंजल वन प्लेटफॉर्म पर डीमैट अकाउंट होने से आपको म्यूचुअल फंड और एनपीएस (NPS) सहित विभिन्न निवेश विकल्पों में निवेश करने में मदद मिल सकती है! एंजल एनपीएस (NPS) के लिए आवेदन करने में कैसे आपकी मदद कर सकता है – यह जानने के लिए इसे पढ़ें। अपने भविष्य के लिए आज ही निवेश करना प्रारंभ करें!

FAQs

राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) क्या है?

एनपीएस (NPS), सैन्य कार्मिकों को छोड़कर 18 से 70 वर्ष की आयु के भारतीय नागरिकों के लिए सरकार द्वारा समर्थित पेंशन योजना है। यह न्यूनतम जोखिम के साथ स्थिर सेवानिवृत्ति आय प्रदान करता है तथा सेवानिवृत्त होने तक इसमें आवधिक योगदान करना होता है।

एनपीएस (NPS) में किसे निवेश करना चाहिए?

निजी क्षेत्र के कर्मचारियों और स्व-व्यवसायी सहित कम जोखिम क्षमता वाले लोगों के लिए एनपीएस (NPS) सर्वोत्तम है। यह सेवानिवृत्ति के बाद स्थिर पेंशन प्रदान करता है और इसमें निवेश करने पर धारा 80C के तहत ₹2 लाख तक की टैक्स कटौती का लाभ प्राप्त होता है।

म्यूचुअल फंड क्या है और वह एनपीएस (NPS) से कैसे भिन्न है?

म्यूच्यूअल फंड में विविध प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है तथा यह पेशेवरों द्वारा प्रबंधित निवेश पूल होता है। वे एनपीएस (NPS) की तुलना में अधिक जोखिम लेते हैं किन्तु इनमें अधिक लाभ प्रदान करने की क्षमता होती है और यह उच्च जोखिम क्षमता वाले लोगों के लिए उपयुक्त होता है।

विशेषताओं के मामले में एनपीएस (NPS) और म्यूचुअल फंड के बीच मुख्य अंतर क्या हैं?

चूँकि यह सेवानिवृत्ति पर ध्यान केंद्रित करता है इसलिए एनपीएस (NPS) में लॉक-इन अवधि लंबी होती है, जोखिम कम होता है और सरकार का समर्थन होने के कारण रिटर्न भी मिलता है। म्यूचुअल फंड उच्च जोखिम और उच्च रिटर्न के साथ विभिन्न लक्ष्यों को पूरा करता है, ओपन-एंडेड योजनाओं में कोई लॉक-इन नहीं होता है, तथा इसमें निवेश विकल्पों की एक विस्तृत शृंखला होती है।

एनपीएस (NPS) और म्यूच्यूअल फंड में कैसे निवेश किया जा सकता है?

एनपीएस लंबी लॉक-इन अवधि, कम जोखिम और सरकार की सहायता के कारण रिटायरमेंट पर ध्यान केंद्रित करता है. म्यूचुअल फंड अधिक जोखिम और रिटर्न, ओपन-एंडेड स्कीम के लिए कोई लॉक-इन और निवेश विकल्पों की व्यापक रेंज के साथ विभिन्न लक्ष्यों की सेवा करते हैं. हाइपरलिंक “https://www.angelone.in/knowledge-center/mutual-funds/nps-vs-mutual-fund”

एनपीएस और म्यूचुअल फंड में कैसे इन्वेस्ट कर सकते हैं?

एनपीएस (NPS) और म्यूचुअल फंड के बीच निर्णय निवेश राशि, सेवानिवृत्ति लक्ष्य और जोखिम लेने की क्षमता जैसे कारकों पर निर्भर करता है। दोनों एक विविध रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं। निवेश को एंजल वन प्लेटफॉर्म पर डीमैट खाते के माध्यम से प्रबंधित किया जा सकता है, जो एनपीएस (NPS) के लिए आवेदन करने में भी सहायता करता है।