स्टॉक मार्केट अस्थिर होते हैं तथा स्थानीय और वैश्विक घटनाओं से ज्यादा प्रभावित होते हैं। चुनावों के बारे में भी यही कहा जा सकता है। किसी भी देश में चुनाव एक प्रमुख आयोजन है जो अपने देश की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास की भावी दिशा निर्धारित करती है। भारतीय स्टॉक मार्केट चुनावी बयार के प्रति संवेदनशील होता है और उस अवधि में ज्यादा अस्थिरता दिखाई पड़ती है। पहले से ही हमें यह मालूम है कि स्टॉक मार्केट चुनावों से प्रभावित होते हैं, किन्तु प्रश्न है कि ‘यह कैसे होता है‘। चुनावों और स्टॉक मार्केट के संबंध में गहनता से आगे बढ़ने से पहले चलिए हम यह समझते हैं कि स्टॉक मार्केट क्या है और यह कैसे काम करता है।
स्टॉक मार्केट क्या है?
स्टॉक मार्केट एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें क्रेता और विक्रेता स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों को बेचने या खरीदने के लिए एक साथ आते हैं। कंपनियों का विस्तार करने के लिए जनता से धन जुटाने या कंपनी का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए स्टॉक मार्केट एक व्यवस्था महत्वपूर्ण है जिसके बदले खरीदार को शेयरों के रूप में कंपनी में स्वामित्व का एक प्रतिशत दिया जाता है।
स्टॉक मार्केट कैसे काम करता है?
यह खरीदारों और विक्रेताओं को कीमतों पर बातचीत करने और स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से लेन–देन करने की अनुमति प्रदान करता है। जनता से पूँजी उठाने को इच्छुक कंपनियां आईपीओ (IPO) या प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंज में अपने शेयर को लिस्ट कराती हैं। जब कंपनी के शेयर स्टॉक मार्केट में फ्लोटिंग शुरू करते हैं तो निवेशक स्वयं इसे खरीद या बेच सकते हैं, जिससे कंपनी को पूंजी जुटाने में मदद मिलती है।
स्टॉक की कीमतें कैसे निर्धारित की जाती हैं?
शेयर बाजार में विभिन्न शेयरों की कीमतें आपूर्ति और मांग की शक्तियों द्वारा निर्धारित की जाती हैं। यदि किसी विशेष स्टॉक की मांग, यानि खरीदारों की संख्या स्टॉक की आपूर्ति यानि विक्रेताओं की संख्या से ज्यादा है तो स्टॉक की कीमत बढ़ती है। इसी प्रकार, यदि आपूर्तिकर्ताओं की संख्या, यानी विक्रेता खरीदारों से अधिक है तो स्टॉक की कीमतें कम हो जाती हैं।
निवेशक खरीद और बिक्री के निर्णय कैसे लेते हैं?
किसी स्टॉक को खरीदने या बेचने का निर्णय लेने के लिए निवेशक हाल ही की खबरों और घटनाओं का विश्लेषण करते हैं। किसी कंपनी के बारे में कोई सकारात्मक समाचार बाजार में सकारात्मक भावनाएं पैदा करता है, जिससे लोग उस स्टॉक को खरीदने के लिए प्रेरित होते हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय विमानक्षेत्र प्राधिकरण द्वारा जयपुर अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र के रखरखाव का कार्य अदानी समूह को सौंपने की खबर कंपनी के व्यावसायिक विस्तार और अधिक शक्ति का परिचायक है। इससे अदानी समूह के शेयरों के प्रति सकारात्मक भावनाएं उत्पन्न होती हैं जिससे मांग में वृद्धि होती है और शेयर की कीमत बढती है। इसी प्रकार भारत सरकार द्वारा कॉर्पोरेट टैक्स में वृद्धि किए जाने से बाजार में नकारात्मक भावनाएं पैदा करती है जिससे स्टॉक की कीमतों में पूरी तरह गिरावट आती है।
स्टॉक मार्केट चुनावों से कैसे प्रभावित होते हैं?
चुनाव का समय स्टॉक मार्केट के लिए सबसे अस्थिर समय में से एक है क्योंकि उनके साथ बहुत अनिश्चितता आती है। आर्थिक परिवर्तनों की तरह, चुनाव या नीतिगत परिवर्तन जैसे राजनैतिक परिवर्तन शेयर बाजार पर भारी प्रभाव डालते हैं। आमतौर पर यह माना जाता है कि यदि चुनाव का परिणाम मौजूदा सरकार के पक्ष में रहता है तो स्टॉक मार्केट ऊपर जाता है क्योंकि यह राजनीतिक स्थिरता को दर्शाता है तथा परिणाम इसके विपरीत जाने पर मार्केट गिरता है। यद्यपि, चुनाव द्वारा स्टॉक मार्केट के मूल्यों को प्रभावित करने के कई अन्य कारण भी हैं। आइए चुनावों और शेयर बाजारों के बीच संबंधों को निर्धारित करने वाले कारकों पर एक नजर डालें।
- चुनाव घोषणापत्र में क्या है?
चुनाव मैनिफेस्टो में उन सभी आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय नीतियों की सूची होती है, जिन्हें प्रतिस्पर्धी दल निर्वाचित होने के बाद अधिनियमित करने का वादा करते हैं। जैसे किसी विशेष पार्टी के चुनाव मैनिफेस्टो में ऐसी नीतियों का समावेश होता है जिससे देश में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। उदाहरण के लिए, यदि कोई प्रतिस्पर्धी दल अपने चुनाव मैनिफेस्टो में टैक्स की दरों को कम करने का वादा करता है और इसकी अधिकांश नीतियाँ आर्थिक विकास की ओर निर्देशित होती हैं, तो इसकी जीत की संभावना से स्टॉक की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
- सरकार की विचारधारा
यदि किसी पार्टी के पास पूरी शासन अवधि के लिए आर्थिक विकास से संबंधित बेहतर दृष्टिकोण है और उसके पास 5 वर्ष का रोडमैप है, तो उसके जीतने की संभावना अधिक होती है और इससे मार्केट में सकारात्मक भावनाओं का सृजन होता है जिससे शेयर की कीमतों में वृद्धि होती है। इसी प्रकार यदि अनिश्चित और अस्पष्ट वादों वाली पार्टी के चुनाव जीतने के संकेत मिलते हैं तो इससे मार्केट में नकारात्मक भावनाएं पैदा होती हैं और शेयरों की कीमतों में गिरावट आती है।
- एग्जिट पोल का परिणाम
एग्जिट पोल का परिणाम किसी विशेष पार्टी के विजेता होने की संभावना को दर्शाता है। एग्जिट पोल चुनाव से पहले किए गए एक मॉक पोल की तरह होता है जो किसी खास पार्टी के जीतने की संभावना प्रदर्शित करता है। यदि बेहतर आर्थिक नीतियों वाली पार्टी के जीतने की संभावना अधिक होती है तो स्टॉक की कीमतें बढ़ती हैं और इसके विपरीत होने पर स्टॉक की कीमतें गिरती हैं। यदि एग्जिट पोल का परिणाम वर्तमान सरकार के पक्ष में होता है तो इससे राजनीतिक स्थिरता का संकेत मिलता है और शेयर बाजार में कीमतों में वृद्धि होती है।
- अपेक्षित आर्थिक नीतियां
जिस पार्टी के जीतने की अधिक संभावना है यदि उस पार्टी के पास देश के विकास को सुगम बनाने के लिए बेहतर आर्थिक नीतियां हैं, तो स्टॉक मार्केट ऊपर जाने की प्रवृत्ति दिखा सकता है।
- कौन से सेक्टर या उद्योग के बढ़ने की उम्मीद है
चुनाव पूर्व और उसके बाद की अवधि की अनिश्चितता न केवल शेयर बाजार को प्रभावित करती है बल्कि विभिन्न उद्योगों पर भी इसके प्रभावी असर होते हैं। उदाहरण के लिए, यदि जीतने वाली पार्टी देश में बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रही है, तो बुनियादी ढांचे और रियल एस्टेट उद्योगों का स्टॉक ऊपर जाएगा। इसी प्रकार, यदि विजेता पार्टी के चुनाव मैनिफेस्टो में ऐसी नीति है जो औषधीय क्षेत्र को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है, तो इससे फार्मा कंपनियों की शेयरों की कीमतों में कमी आएगी।
- नेता का व्यक्तित्व और लोकप्रियता
नेता का व्यक्तित्व स्टॉक मार्केट में मूल्य की प्रवृत्ति को भी निर्धारित करता है। उदाहरण के लिए, यदि नेता का एक महान व्यक्तित्व है और प्रभावशाली है तो वह देश में अधिक विदेशी निवेश प्राप्त कर सकेगा, सकारात्मक भावनाओं का सृजन करेगा जिससे स्टॉक मार्केट में तेजी आएगी।
स्टॉक मार्केट आधुनिक विश्व का सबसे अप्रत्याशित पहलू है, लेकिन अभी भी ऐसी कुछ चीजें हैं जो इसके व्यवहार की भविष्यवाणी करने में मदद कर सकती हैं। चुनाव इनमें से एक है। जब चुनाव होने वाला हो तो शेयर बाजार सामान्य से अधिक संवेदनशील हो जाता है। स्टॉक की कीमतों और चुनावों के बीच का संबंध बहुत जटिल है तथा इसका सटीक पूर्वानुमान नहीं किया जा सकता है। हालांकि, चुनाव मैनिफेस्टो, विचारधारा, नीतियां और एग्जिट पोल के परिणामों से शेयर बाजार की प्रवृत्तियों की भविष्यवाणी करने में मदद मिल सकती है।