What is HFT? And Risks to consider before trading | Hindi

Podcast Duration: 5:47
एचएफ़टी क्या है? और निवेश से पहले इससे जुड़े रिस्क। ही, दोस्तों, एंजेल वन के इस्स पॉडकास्ट में आपका स्वागत है। आज हम फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग के बारे में बात करेंगे। सरल शब्दों में , हाइ फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग स्टॉक ट्रेडिंग स्टॉक्स ट्रेड करने का ऐसा मेथड है जिसमें कम्प्युटर प्रोग्राम्स का उसे होता है। ये इसलिए है क्योंकि हाइ - फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग में बहुत ज़्यादा ऑर्डर एक साथ प्रोसैस किए जाते हैं। ऑर्डर के बड़े नंबर और रेपेयटिंग ऑर्डर प्रोसैस करने के लिए स्ट्रॉंग कंप्यूटर प्रोग्राम बहुत ज़रूरी हैं। ये प्रोग्राम मुश्किल एल्गॉरिथ्म को यूस करके सारे ऑर्डर फुलफिल करते हैं। ये कहने की ज़रूरत नहीं है, की हाइ- फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग, हेज फंड्ज, इनवेस्टमेंट बैंक एंड औद्योगिक इन्वैस्टर के द्वारा की जाती है।हाइ - फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग में सफल होने के लिए बहुत समय की ज़रूरत होती है। जिन ट्रैडरस की एक्सिक्यूशन स्पीड बहुत फास्ट होती है वो ही कामयाब होते हैं। हाइ- फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग में टर्न ओवर रटेस और ऑर्डर टू ट्रेड रैशियो भी ज़्यादा हाइ होते हैं। बेनेफिट्स - - हाइ- फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग के बहुत सारे बेनेफिट्स होते हैं। अंतत : मार्केट्स जो ज़्यादा लिकुइड होते हैं, उनमें रिस्क भी कम होता है क्योंकि ऐसे मार्केट में किसी भी पोज़िशन की दोनों साइड पर काफी ट्रैडरस होते हैं। ऐसी ट्रेडिंग के इन्स्टीट्यूशन बिड - आस्क स्प्रेड पर अच्छे रिटर्न एकस्पेक्ट करते हैं। एचएफ़टी के लिए जो एल्गोरिथ्म यूस किए जाते हैं वो कई तरह की मार्केट्स और एक्स्चेंज पर नज़र रखते हैं। ऐसा करने से ट्रैडरस को और मौके मिल सकते हैं। रिस्क : हाइ- फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग का ऐसा टॉपिक है जिस पर एक्सपर्ट, फ़ाइनेंस प्रोफेशनल और इन्वैस्टर ने काफी बहस की है। इसका कारण यह है की हाइ - फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग में बहुत सारे रिस्क होते हैं। दोस्तों हाइ - फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग में ट्रैडरस बहुत थोड़े समय के लिए अपनी पोज़िशन होल्ड करते हैं। इससे रिस्क - रिवर्डिंग रैशियो , उन निवेशकों की तुलना में बहुत ज़्यादा हो जाता है जो लंबे समय के लिए निवेश करते हैं। ऐसा करने से हाइ- फ्रिक्वेन्सी ट्रैडर एक दिन में बहुत छोटे- छोटे लाभ कमाते हैं, लेकिन ऐसा करने से रिस्क भी बढ़ जाता है। हाइ- फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग का एक और डाउन साइड होता है इस से मार्केट में " घोस्ट लिकुइडिटी " आती है। विशेषज्ञों का मानना है कि हाइ- फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग एक झूठी लिकुइडिटी क्रिएट करते हैं, क्योंकि सेक्यूरिटीस केवल कुछ ही सेकंड के लिए ट्रैडरस के पास होल्ड होती हैं। और जब तक ये सेक्यूरिटीस लंबे समय के लिए कोई निवेशक खरीदता है, तब तक मानी गयी लिकुइडिटी खत्म हो जाती हैं। रेगुलटर्स मानते हैं कि हाइ- फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग का कोई मार्केट वोलटेलिटी और क्रैश से सीधा संबंध है। कुछ रेगुलेटर्स ने यह भी पता लगाया है कि कुछ हाइ- फ्रिक्वेन्सी ट्रैडर मार्केट को इलिगल तरह से भी इस्तेमाल करते हैं। ऐसा भी देखा गया है कि इन्स्टीट्यूशनल हाइ फ्रिक्वेन्सी ट्रैडर छोटे निवेशकों के खर्चे पर भी प्रॉफ़िट करते हैं।हाइ फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग से बड़े इनवेस्टमेंट फ़र्म को प्रॉफ़िट मिलता है और लॉन्ग टर्म इन्वैस्टर लॉस में रहते हैं। नयी टेक्नोलोजिस कि वजह से भी मार्केट वोलटेलिटी बढ़ रही है। जैसे ये टेक्नोलोजिस बढ़ रही हैं मार्केट क्रैश पर इंका असर भी पता चल रहा है। यूरोप में कई कंट्रीस हाइ फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग को बेन करना चाहती है। ऐसी ट्रेडिंग के कई पहलुओं को इलिगल माना जाता है। जैसे की कम्प्युटर प्रोग्राम मुश्किल एल्गॉरिथ्म को यूस करके हजारो ऑर्डर प्लेस या कैन्सल करते हैं। वो एक सेक्युर्टी पे प्राइस को कुछ सेकोण्ड्स के लिए बढ़ा देते हैं। इसे एक भ्रामक और अनैतिक मानी जाती है। रिस्क से बचने के तरीके - दोस्तों 2016 में सेबी ने हाइ - फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग और एल्गोरिथ्म से बचने के सात उपाय सुझाए थे, इन का मुख्य उद्देश्य सामान्य ट्रैडर और इन्स्टीट्यूशनल ट्रैडर के बीच का गेप कम करना है। सेबी के डिस्कशन पेपर के उपायों में पहला है के एचएफ़टी ऑर्डर में एक रेस्टिंग टाइम होना चाहिए, जोकि फ्लीटिंग ऑर्डर को खत्म करने में मदद करेगा। दूसरा , मेचिंग ऑर्डर एक बैच में प्रोसैस ( ख़रीदे और बेचे ) किए जाएंगे ताकि पहले उन्हें मैच किया जा सके। तीसरा, ऑर्डर प्रोसेसिंग में कुछ मिलिसेकंड की देर होगी ताकि जो ट्रेडिंग स्ट्रेटजी टाइम सेंसिटिव है , उन पर रोक लगाई जा सके। ऑर्डर की क्यू हर एक- दो सेकंड के बाद रेंडम की जाएगी ताकि ट्रेडिंग स्पीड इकलौती स्ट्रेटजी न हो। ऑर्डर तू ट्रेड रैशियो में भी अपर लिमिट लगाई जाएगी क्योंकि एचएफ़टी में बड़े ऑर्डर के कैन्सल होने के ज़्यादा चान्स होते हैं। सेबी की यह भी सलाह है की को- लोकेटिड सर्वर और अलग जगह से आने वाले सर्वर के लिए अलग क्यू होने चाहिए। और सेबी का मानना है की टिक बाय टिक डेटा फीड को रिवियू करना चाहिए। इसकी फीड का एक्सेस एचएफ़टी की फीस के साथ कर सकते हैं लेकिन सेबी एक प्रोसैस बनाना चाहता है जो बाज़ार के सभी सहभागी देख सकें। दोस्तों हाइ- फ्रिक्वेन्सी ट्रेडिंग काफी फेमस है लेकिन उसके रिस्क की वजह से काफी रेग्युलेशन लगे हुए हैं। जैसा की हमने इस पॉडकास्ट में देखा एचएफ़टी को न केवल अनैतिक बल्कि कुछ उदाहरणों में गैर - कानूनी भी माना जा सकता है। आज के पॉडकास्ट में बस इतना ही, जाने से पहले यह ज़रूर याद रखिएगा की बाज़ार निवेश में हमेशा रहेगा। यह पॉडकास्ट केवल जानकारी के लिए बनाया गया है, निवेश से पहले अपनी रिसर्च ज़रूर करें। ऐसे और रोचक पॉडकास्ट सुनने के लिए हमें यूट्यूब और दूसरे सोश्ल मीडिया चैनल पर फॉलो करें। तब तक के लिए गुड बाय और शुभ निवेश। निवेश बाज़ार ज़ोखिमों के आधीन हैं, कृपया निवेश से पहले सभी संबन्धित दस्तावेज़ ध्यान से पढ़ें।